अशोकनगर । ईसागढ़ थाने के अंतर्गत ग्राम बमनावर निवासी एक ग्रामीण महिला को परिवारजन अशोकनगर में उपचार के लिए लाए। जब उसका उपचार शंकर कॉलोनी में एक अप्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा किया जा रहा था, उसी दौरान डॉक्टर द्वारा इंजेक्शन लगाते ही महिला की मौत हो गई। इस घटना से बिफरे ग्रामीणों ने क्लीनिक के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। कॉलोनी के लोग भी जमा हो गए। यहां भीड़ मांग कर रही थी कि आरोपित डॉक्टर को गिरफ्तार किया जाए। लेकिन डॉक्टर क्लीनिक को खुला छोड़कर भाग गया। इसके बाद देहात थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और क्लीनिक को सील कर दिया।
बमनावर निवासी राजबाई पति लालाराम लोधी ( 55) को कंधे में दर्द की शिकायत पर परिजन महेन्द्र लोधी एवं पुत्र उपचार के लिए अशोकनगर लाए। यहां वह शंकर कॉलोनी में क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर आरपी चौरसिया के यहां लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने जैसे ही महिला को इंजेक्शन लगाया मौत हो गई। इसे लेकर महेन्द्र लोधी का कहना है कि उन्हें किसी तरह की कोई बड़ी शिकायत नहीं थी। छोटा-मोटा दर्द हो रहा था। पहले वह अपनी मां का इलाज कराकर ले गया था। इसके बाद ताई को लेकर आया था, उसे क्या पता था कि उनकी इंजेक्शन लगने से मौत हो जाएगी। इस घटना के बाद परिवार के लोग व अन्य डॉक्टर को दोषी ठहराते हुए नजर आए।
लोगों की भीड़ डॉक्टर के क्लीनिक के बाहर जमा हो गई। भीड़ को देखते हुए डॉक्टर भाग गया। जिसके बाद महिला की मौत के लिए परिवार के लोग डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराते रहे। घटना की जानकारी मिलते ही देहात थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और भीड़ को डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया। इस दौरान पुलिस ने डॉक्टर के क्लीनिक को सील कर दिया है। बताया गया है कि क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर ने अपनी दुकान के बाहर एमडी, ईएफ लिख रखा है तथा पॉलिटेक्निक कॉलेज में वह बाबू के पद पर पदस्थ है तथा शंकर कॉलोनी में क्लीनिक चला रहा था। देहात थाने की पुलिस ने उक्त मामले में मर्ग का मामला दर्ज किया है। घटना सुबह 9ः15 बजे की है। जबकि पुलिस एक बजे पहुची।
जिले में नीम-हकीमों की संख्या बढ़ी
जिले में ऐसा कोई ग्राम नहीं है जहां इस तरह के क्लीनिक संचालित न हो रहे हों। स्वास्थ्य सेवाओं के साथ खिलबाड़ सरेआम हो रहा है लेकिन कभी भी यहां के स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह जानने का प्रयास किया गया कि आखिर इन अप्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा यह दुकाने, कैसे व किन नियमों के द्वारा चलाई जा रही है। एक ओर डॉक्टर को लाखों रूपये खर्च करके कई वर्षों की पढ़ाई के बाद डॉक्टरी की डिग्री प्राप्त करना पड़ती है। दूसरी ओर ऐसे डॉक्टर है जो बिना डिग्री और स्वीकृति के इस तरह की क्लीनिक चला रहे है। स्वास्थ्य विभाग में इनके कोई पंजीयन नहीं है। न कोई डिग्री इनके द्वारा जमा कराई गई है। इस तरह की घटनाएं आगे न हो जिसके लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।