विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बागी विधायक आना चाहें तो कर्नाटक-एमपी के डीजीपी उन्हें सुरक्षा दें

नई दिल्ली / सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापति को फ्लोर टेस्ट के लिए आज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया शाम 5 बजे तक पूरी करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्पीकर प्रजापित ने कहा- विधायिका न्यायालय के निर्देशों का पालन कर रही है। दोनों ही संवैधानिक संस्थाएं हैं। संविधान मौन है। इससे पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूण की बेंच ने स्पीकर को फ्लोर टेस्ट की पूरी प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग कराने के आदेश भी दिए। मुख्यमंत्री कमलनाथ आज दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान वे इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं। स्पीकर एनपी प्रजापति ने 16 बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए हैं। इन विधायकों ने 10 मार्च को इस्तीफा दिया था।


कोर्ट ने कहा- विधानसभा की कार्यवाही का एजेंडा बहुमत परीक्षण हो


कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि बहुमत का फैसला विधायकों के हाथ उठवाकर कराया जाए। कोर्ट ने आदेश दिया कि कल विधानसभा की कार्यवाही का एकमात्र एजेंडा बहुमत परीक्षण कराना ही हो। वहीं बेंच में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा- अगर बागी विधायक विधानसभा आना चाहें, तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश के डीजीपी उन्हें सुरक्षा दें। कोर्ट ने विधानसभा के प्रमुख सचिव को जरूरी इंतजाम करने के आदेश दिए।


बागियों पर फैसले में समय लेने पर हॉर्स ट्रेडिंग बढ़ेगी- सुप्रीम कोर्ट


शीर्ष अदालत ने स्पीकर एनपी प्रजापति से पूछा, ‘क्या वे वीडियो लिंक के जरिए बागी विधायकों से बात कर सकते हैं और फिर उनके बारे में फैसला कर सकते हैं?’ इस पर स्पीकर की तरफ से पेश वकील अभिषेक सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- ‘नहीं, ऐसा संभव नहीं है। स्पीकर को मिले विशेषाधिकार को सुप्रीम कोर्ट भी नहीं हटा सकता।’ स्पीकर ने 16 बागी विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लेने के लिए 2 हफ्ते का वक्त मांगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि इतना समय देना सोने की खदान जैसा होगा, इससे हॉर्स ट्रेडिंग बढ़ेगी।


कोर्टरूम में क्या हुआ : स्पीकर ने कहा- कोर्ट ने निर्देश दिए तो संवैधानिक दिक्कतें पैदा होंगी
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर : बेंच ने सुझाव दिया कि हम बेंगलुरु या कहीं और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर सकते हैं ताकि बागी विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्पीकर से बात कर सकें। स्पीकर ने इस सुझाव को ठुकरा दिया।


बागी विधायकों के इस्तीफों पर : बेंच ने स्पीकर से पूछा कि बागी विधायकों के इस्तीफे के मामले में क्या कोई जांच हुई है और क्या इस पर कोई फैसला किया गया है? इस पर स्पीकर की ओर से पेश वकील सिंघवी ने कहा कि जब कोर्ट स्पीकर को तय वक्त के अंदर कुछ कदम उठाने के निर्देश देने लग जाए तो इससे संवैधानिक दिक्कतें पैदा होंगी।


फ्लोर टेस्ट पर : बेंच ने सभी पक्षों से पूछा कि क्या विधायकों के इस्तीफे या उन्हें अयोग्य करार देने के स्पीकर के किसी भी फैसले से फ्लोर टेस्ट पर असर पड़ेगा? संवैधानिक सिद्धातों पर गौर करें तो विधायकों के इस्तीफे या उनकी अयोग्यता का मुद्दा स्पीकर के सामने लंबित रहने से ट्रस्ट वोट पर कोई रोक नहीं लगती। इसलिए कोर्ट को दूसरे पहलू की तरफ देखना होगा कि क्या राज्यपाल ने उन्हें मिली शक्तियों से परे जाकर कोई कदम उठाया है? अगर विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है और इस बीच अगर सरकार बहुमत खो देती है ताे राज्यपाल के पास स्पीकर को विश्वास मत परीक्षण कराने का निर्देश देने का अधिकार है। इस पर स्पीकर ने कहा कि राज्यपाल यह तय नहीं कर सकते कि सरकार के पास बहुमत है या नहीं। यह सदन तय करता है। राज्यपाल को तीन ही अधिकार हैं- सदन का सत्र बुलाएं, सत्र को निलंबित करें या सदन को भंग कर दें।


कमलनाथ पर : राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से पेश वकील ने बेंच से कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ एकतरफ बैठे हैं और स्पीकर कोर्ट में राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे हैं।


मध्यप्रदेश विधानसभा में बहुमत परीक्षण की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट में कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे, भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी, राज्यपाल के वकील तुषार मेहता, स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने पैरवी की।


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