बहन मानकर की सेवा, तब पता चला कि सात साल से गुमशुदा है युवती, आज पिता-भाई आएंगे लेने

अशोकनगर । स्नेह, प्रेम और अपनेपन में वह ताकत होती है जो पत्थर दिल को भी पारस कर देती है। सात साल से परिवार से बिछड़ी मानसिक रूप से कमजोर एक युवती को जब जिला अस्पताल के प्रसूती वार्ड में परिवार जैसा माहौल मिला तो सब याद आ गया। नगर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने युवती को बहन मानकर 13 दिन तक सेवा की। गुरुवार को उप्र के उन्नााव जिले से आज युवती के परिजन उसे लेने आएंगे। अपनो से बिछड़ी युवती को परिजन से मिलाने में अस्पताल स्टाफ सहित नगर के समाजसेवियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।


जानकारी मुताबिक 20 फरवरी को कोटा से बीना के बीच चलने वाली कोटा-बीना पैसेंजर ट्रेन के शौचालय में मानसिक रूप से कमजोर उक्त युवती ने एक बेटे को जन्म दिया। जिसे शाढ़ौरा स्टेशन से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भेजा गया। बाद में उसे जिला अस्पताल के प्रसूती वार्ड में भर्ती कराया गया। पूछने पर वह कुछ भी नहीं बता पा रही थी। यहां तक कि अपना नाम, पता, घर आदि उसे याद नहीं था। वह यहां कैसे आई, कैसे ट्रेन में पहुंची उसे याद नहीं था। इस पर जिला अस्पताल प्रबंधन भी चिंतित था कि एक मां को उसके बेटे के साथ कहां भेजा जाए। अखबार के माध्यम से यह बात अशोकनगर के सामाजिक कार्यकर्ता अंशुमन त्यागी निवासी लेकसिटी कॉलोनी को पता चली तो उन्होंने निश्चय किया कि वह युवती का परिवार के सदस्य और अपनी बहन की तरह ख्याल रखेगा। अंशुमन ने युवती के साथ ऐसा व्यवहार किया जैसे वह उसकी सगी बहन हो। उसे समय पर खाना खिलाया, हर समय उसका ध्यान रखा।


इस दौरान कई बार उससे पूछा कि वह कहां की रहने वाली है, लेकिन वह कभी महू जिला उत्तरप्रदेश, तो कभी शिर्डी, तो कभी लखनऊ बताती रही। लेकिन अंशुमन के प्रयास जारी रहे। अंशुमन ने बताया कि उसने बार-बार कहा कि तुम्हारा गांव कैसा था। कभी वह गांव में दो दुकान तो कभी आटा चक्की होना बताती रही। गांव जाने का रास्ता मिट्टी वाला होना कहती रही। इसी बीच उसके मुंह से एक गांव का नाम निकला। यह नाम उसके मुंह से निकलना एक संजीवनी साबित हुआ। इसके बाद गूगल पर सर्च किया गया। तब वह उत्तरप्रदेश के जिला उन्नाव तहसील हसलगंज का ग्राम होना पाया गया।


 

इसके बाद अंशुमन त्यागी ने उन्नाव के एसपी विनीत आर्या से चर्चा की और उन्हें पूरी बात बताई। इसके बाद थाना प्रभारी को बुलाया गया और शुरू में तो यह गांव बताने से इंकार पुलिस द्वारा किया जाता रहा लेकिन बाद में जब स्क्रीनशॉट मोबाइल से लेकर भेजे गए तब गांव में जाकर पुलिस ने जानकारी जुटाई। इसके बाद गांव में पता चला कि उक्त युवती पिछले सात साल से गुम है। जब वीडियो कॉलिंग पर युवती की उसके पिता से बात कराई गई तो पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पिता-भाई, बहन सभी अपनी खोई हुई परिवार की सदस्य को मिलने पर खुशी से झूम उठी। अब इस परिवार के सदस्य युवती को लेने के लिए गुरुवार को अशोकनगर पहुंच रहे हैं। अंशुमन त्यागी पहले भी इस तरह से खोए हुए लोगों को उनका साथी बनकर अपने परिवार से मिला चुके हैं।


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