वर्षों बाद बेटी को पाकर मां की आंखें हुईं नम, भाई के छलके आंसू

मां के साथ पूरे परिवार को देखकर सात साल से बेसहारा युवती का खुशी का ठिकाना नहीं रहा


गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में युवती अपने बेटे के साथ घर रवाना हुई


अशोकनगर। सात साल से इस दुनिया में अपरिचित और अंजान बनकर रह रही युवती को एक बार फिर उसका परिवार मिल गया है। बिछड़े हुए 7 वर्ष युवती और उसके परिवार ने कैसे गुजारे है यह वहीं जानते हैं, लेकिन इन वर्षों के बाद जब एक मां और भाई का अपनी बेटी और बहन से मिलन हुआ तो सबकुछ ऐसा लगा जैसे बीते दिन फिर लौट आए हैं। कल तक युवती उनके लिए इस दुनिया में गुम हो चुकी थी, आज वह फिर मिल चुकी है। उसकी गोद में नन्हीं किलकारियां गूंज रहीं है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव से आया यह परिवार जब अशोकनगर पहुंचा तो युवती भी उन्हें देखकर खुशी से चहल उठी। सामाजिक संस्थाओं की उपस्थिति में युवती को खुशी-खुशी उसके घर के लिए रवाना किया गया।




 



उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले के एक गांव में रहने वाली युवती 7 साल पहले अपने घर से लापता हो गई थी। युवती की मां ने बताया कि युवती को अपने घर पर करंट लग गया था। जिसके बाद उसकी मानसिक स्थिति गड़बड़ हो गई थी, जिससे उसे घर पर बांधकर रखा जाता था, ताकि वह इधर-उधर न चली जाए। एक दिन वह अपने दांतों से रस्सी को काटकर भाग गई। जिसके बाद उसका पता नहीं चला। वह उसे गांव-गांव और रिश्तेदारों के यहां तलाशते रहे लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। 3 साल तक उन्होंने सभी जगह ढूढा लेकिन जब वह नहीं मिली तब वह हार मान बैठे।


 

पेशे से मजदूर परिवार को जब अशोकनगर के सामाजिक कार्यकर्ता अंशुमन त्यागी के प्रयासों से यह जानकारी मिली कि उनकी बेटी युवती अशोकनगर में है तो वह बेटी से मिलने के लिए तत्काल रवाना हो गए। अशोकनगर सुबह पहुंचे इस परिवार के सदस्यों में उसकी मां, भाई एवं जीजाजी लेने आए। ट्रेन से उतरने के बाद जिला अस्पताल पहुंचे। जहां उन्होंने तत्परता से जिला अस्पताल के प्रसूती गृह में युवती को देखा तो वह खुश हो गए। युवती भी उन्हें देखकर ऐसी खुश हुई जैसे उसे वर्षों से अपनी मां की तलाश थी। इन सभी परिवार के लोगों के सुपुर्द युवती को रवाना करने से पहले परिवार के सदस्यों द्वारा एक शपथपत्र कराया गया।


 

सिविल सर्जन डॉ. हिमांशु शर्मा की उपस्थिति में सामाजिक कार्यकर्ता के साथ रोटरी अध्यक्ष सुशीला गुप्ता, इनरव्हील की अध्यक्ष मनोरमा अग्रवाल तथा पुलिस और होमगार्ड के जवानों की उपस्थिति में उन्हें रवाना किया गया। इस दौरान युवती व उसके पुत्र की देखरेख के लिए स्वेच्छा से लोगों ने राशि प्रदान की। वस्त्र प्रदान किए व खाने-पीने का सामान दिया। जिसके बाद युवती को रहने के लिए अपना घर फिर मिल गया है और बेटे के लिए रिश्तों की डोर फिर खुल गई है।


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